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मलफ़ूज़ात हकीमुल उम्मत हज़रत थानवी

हज़रत की नज़र

एक मौलवी साहब ने अर्ज़ किया कि हज़रत, शैतान भी आपका बड़ा ही दुश्मन है, जितनी दुश्मनी तमाम हिंदुस्तान के मुसलमानों से होगी उतनी अकेले हज़रत से है, क्योंकि हज़रत उसके मकर व फरेब (मक्कारी और धोखे) से अल्लाह की मख़लूक़ को आगाह (सचेत) फरमाते रहते हैं, वह इस पर जलता भुनता होगा। 

फ़रमाया कि मुमकिन (संभव) है, मगर साथ ही वह मुझको नफ़ा (लाभ) भी बहुत पहुँचाता है, इस तरह से कि वह लोगों को बहकाता है और लोग मुझको नाहक़ (बिला वजह) गालियाँ देते हैं, इस पर सब्र करता हूँ, अल्लाह मेरे गुनाह माफ़ करता है और दर्जात बुलंद करता है।

मलफूज़ात हकीम-उल-उम्मत : भाग 1 पृष्ठ. 149

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मलफ़ूज़ात हकीमुल उम्मत हज़रत थानवी

हज़रत की नज़र एक मौलवी साहब ने अर्ज़ किया कि हज़रत, शैतान भी आपका बड़ा ही दुश्मन है, जितनी दुश्मनी तमाम हिंदुस्तान के मुसलमानों से होगी उतनी ...