Search This Blog

मलफ़ूज़ात हकीमुल उम्मत हज़रत थानवी

हुज़्न (ग़म) से मरातिब-ए-सलूक (तसव्वुफ के मर्तबे) तेज़ी से तय होते हैं।

एक ख़त के जवाब में तहरीर फ़रमाया कि मेरे तकद्दुर (अप्रसन्नता) की उम्र बहुत कम होती है। कुछ वक़्त गुज़र जाने पर ज़ईफ़ (कमज़ोर) हो जाता है। और थोड़ी सी माज़रत (माफी) के बाद बिल्कुल ही फ़ना (ख़त्म) हो जाता है। 
फ़रमाया कि इस ख़त में लिखा है कि मुझ को बड़ा रंज है, बड़ा हुज़्न (ग़म) है। 

मैंने जवाब लिखा है कि हुज़्न (ग़म) ही तो काम बनाता है। हुज़्न (ग़म) से जिस क़दर सुलूक (तसव्वुफ) के मरातिब (दर्जे) तय होते हैं, मुजाहिदे (तपस्या) से इस क़दर जल्द तय नहीं होते। यह बात याद रखने के क़ाबिल है।

मल्फ़ूज़ात हकीमुल उम्मत: भाग 1, पृष्ठ 38

No comments:

Post a Comment

Al-Huda Classes

حجامہ کے فوائد: تحقیقی و سائنسی جائزہ

تمہید انسانی صحت کی حفاظت اور امراض کے علاج کے لیے قدیم زمانے سے مختلف طریقۂ علاج رائج ہیں۔ ان طریقوں میں حجامہ (Cupping Therapy) کو خاص اہ...